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Dr Baman Chandra Dixit

Abstract

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Dr Baman Chandra Dixit

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करीब कौन

करीब कौन

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करीब कौन यहाँ देखना चाहा,

लहरों के करीब चट्टानें पाया।।


डालियों में खिली कली के करीब

कांटों का पहरा गहरा पाया।।


गैरों को देखा अपने से लगते

मगर अपनों को गैरों सा पाया।।


रिश्तों को देखा रास्ते बदलते

रास्तों को देखा मंजिल को पाया।।


गरीबी में मेरी करीब थे जो

शुक्रिया आप की हबीबी पाया ।।



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