STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

जीवन इच्छा

जीवन इच्छा

1 min
9

जीवन सहज बन जाए सभी का

हर मन में इतनी पवित्रता हो,

दूर रहें सब लोभ मोह से

हर जन के जीवन की शिक्षा हो।


मद सिर पर न चढ़े कभी

कामी, पापी न कोई हो,

निंदा नफ़रत क्रोध से 

हर जन कोसों दूर हो।


रामनाम रस पीने की 

हर मन की सदइच्छा हो

हर मन मंदिर में हरि सुमिरन गूंजित, 

दुनिया का ऐसा वातावरण हो।


मंदिर मस्जिद और धर्म जाति का

जन मन में न क्लेश हो,

प्रभु चरणों में शरणागत होकर कर

हर जन के जीवन की इच्छा हो। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract