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Chandresh Kumar Chhatlani

Abstract

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Chandresh Kumar Chhatlani

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तब तक

तब तक

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छः हज़ार साल पुराना शिशु,

आज भी सो रहा है 

हो के माँ से आलिंगनबद्ध

किसी दीवार पे उकेरी हुई तस्वीर के अंदर

खुले मुँह से इंतज़ार कर रहा है,

अपने दांतों के निकलने का,

क्योंकि वह जानता है कि,

छः हज़ार साल तक

उसकी माँ उसे दूध नहीं पिलाएगी।

ना ही वह निकल पाएगा दीवार से बाहर।

दांत से खुरच लेगा वह

उसी दीवार को,

जिस में उकेरा गया है वह।

भूख तब तक तो मिटा सकता ही है,

जब तक वह दीवार ढहती नहीं।


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