मित्रता दिवस
मित्रता दिवस
मित्रता वो नहीं होती जो
दुर्योधन और कर्ण में थी
दरअसल वह मित्रता नहीं
अपितु एक बंधुआ मजदूरी थी
कर्ण सदैव बंधुआ मजदूर ही रहा
दासता के भाव से कभी बाहर नहीं आया ।
उसे दुर्योधन ने "फर्श" से "अर्श" पर पहुंचाया था
बदले में उसने उसका कर्ज चुकाया था
स्वार्थ पर आधारित संबंध मित्रता नहीं होते
मित्र वो होते हैं जो मित्र की आंखों में आंसू देख पाते
मित्रता तो श्रीकृष्ण और सुदामा की थ
ी
आंसुओं से श्रीकृष्ण ने सुदामा की आरती की थी
बिन मांगे ही उसे त्रैलोक्य दे दिया
मित्रता का निस्वार्थ उदाहरण प्रस्तुत किया
मित्रता का भाव अर्जुन से भी निभाया था
अजेय कौरवों को कुरुक्षेत्र में हराया था
मित्र की खातिर तोड़ दी प्रतिज्ञा श्रीकृष्ण ने
गीता का देकर देकर मित्र को सही मार्ग दिखाया था
सभी मित्रों को मित्रता दिवस पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाऐं
श्री हरि