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Ratna Kaul Bhardwaj

Abstract

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Ratna Kaul Bhardwaj

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प्रतिनाद

प्रतिनाद

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सब कुछ संभव है 

यदि हम कुचले न गए

सांसारिक सुखों के 

भयानक बवंडर के तले,

 

अनंत ब्रह्मांड से परे 

संभावनाएं असीमित हैं 

परंतु हमें ही तय करना है 

हम किस ओर चलें,


ब्रह्मांड के हर एक स्पंदन में

कुछ न कुछ रहस्य है

उस अटल सत्य की खोज हेतु

आत्मचिंतन आवश्यक है! 

 

हर परमाणु, हर अणु में

प्रतिध्वनि समाहित है कुदरत की, 

सीमित परिकल्पनाओं से परे,

आसमां से परे, गहराई धरती की 

 

घड़ी की टिक टिक से सुदूर,

छुपा हुआ है एक रहस्य

प्रतीक्षारत बाहें फैलाए

अनछुआ और परम सत्य


पवित्रता अपनाने को आतुर

तन मन जागृत कर देगी ये

ज्योतिर्मय जीवन की इच्छुक

आत्मज्ञान से भर देगी ये


आत्मज्ञान और जागृत मन

यही तो अंतिम सत्य है

व ज्योतिर्मय पवित्र जीवन

जो नश्वर तन का लक्ष्य है......


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