कोई शब्द नहीं मेरे पास जो तुमको बयान करे माँ, लेखनी की बिसात नही जो तुम्हें परिभाषित कोई शब्द नहीं मेरे पास जो तुमको बयान करे माँ, लेखनी की बिसात नही जो तुम...
अब तो हनुमान बनो असंभव को संभव करो। अब तो हनुमान बनो असंभव को संभव करो।
टमैं उगते हुए सूर्य का प्रकाश हूँ, झिलमिलाती रात हूँ, असीमित आकाश हूँ, लहराती हवा हूँ, बारिश की बूँद... टमैं उगते हुए सूर्य का प्रकाश हूँ, झिलमिलाती रात हूँ, असीमित आकाश हूँ, लहराती हव...
व्यर्थ है अंधेरे में अंधेरे से जंग केवल शून्य ले जाओगे अपने संग व्यर्थ है अंधेरे में अंधेरे से जंग केवल शून्य ले जाओगे अपने संग
मैं नदी की तरह ही हूँ सीमाओं में बँधी हुई. मैं नदी की तरह ही हूँ सीमाओं में बँधी हुई.
खुद कवि भी नहीं समझ पाता अपने कल्पनाओं की उड़ान को, खुद कवि भी नहीं समझ पाता अपने कल्पनाओं की उड़ान को,