मैं अंधेरा हूँ
मैं अंधेरा हूँ
मैं अंधेरा हूँ
गहन और असीम विस्तार है मेरा
सब डरते है
मेरे पास आने से
मेरे में समाहित होने से
मेरे बदनाम कहानियों से
मेरे परछाई से
किसकी परछाई सफेद है ?
मैं अंधेरा हूँ ।
यकीन मानो मैं भी खूबसूरत हूँ
सामान्य नही दिव्य दृष्टि चाहिए
मुझे देखने के लिए
मुझे महसूस करने के लिए
अभेद्य अपराजेय हूँ मैं
मैं अंधेरा हूँ ।
प्रकाश सीधी रेखा में गमन करता है
मैं सर्वव्यापी हूँ
चाँद सितारों की पहुंच से दूर भी
कुछ भी नही जँहा
मैं हूँ वहाँ
मैं अंधेरा हूँ ।
व्याकुल रहता हूँ आलिंगन को
साकार भी निराकार भी
ज्ञात भी अज
्ञात भी
संभव भी असम्भव भी
अतीत भी भविष्य भी
मैं अंधेरा हूँ ।
सबकुछ उपलब्ध है मेरे अंदर
सृजन की संभावना
विनाश की ऊर्जा
विरोध की तीव्रता
मुक्तिबोध का सरल मार्ग
मैं अंधेरा हूँ ।
जरूरत है महामंथन की
मिलेगा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष मंत्र
राम, कृष्ण , कौटिल्य सब मेरे
चिंतामणि,सोमरस, हलाहल भी मेरे
रावण कंस भस्मासुर सब मेरे
मैं अंधेरा हूँ ।
उतर अतल विराट गहराई में
खोज मत अपनी सीमित रोशनाई में
टटोल कर महसूस कर
खोज पाओगे मनमानिक
व्यर्थ है अंधेरे में अंधेरे से जंग
केवल शुन्य ले जाओगे अपने संग
मैं अंधेरा हूँ ।