जब खून का रंग एक है ,जरूरत पड़े तब मज़हब नहीं देखता खून फिर भी इंसान खून में फर्क करता श्रेश्ठता के न... जब खून का रंग एक है ,जरूरत पड़े तब मज़हब नहीं देखता खून फिर भी इंसान खून में फर्क...
जैसे बारिश में हो एक भीगता जिया हो………बेटी-दामाद को देख तो ऐसा लगा जैसे बारिश में हो एक भीगता जिया हो………बेटी-दामाद को देख तो ऐसा लगा
कृष्ण सुदामा जैसी, दोस्ती करो। कृष्ण सुदामा जैसी, दोस्ती करो।
दुनिया समाज में परिवर्तन की अलख जगाते हैं। दुनिया समाज में परिवर्तन की अलख जगाते हैं।
डायरी हमारी सामाजिक परिवेश को अभिव्यक्त करता है। डायरी हमारी सामाजिक परिवेश को अभिव्यक्त करता है।
नम होती आँखें छिपाए मुस्कुराहट के वो आँसू कहलायें। नम होती आँखें छिपाए मुस्कुराहट के वो आँसू कहलायें।