मुस्कुराहट के आँसू
मुस्कुराहट के आँसू
लाख परेशानी हो घर में फिर भी एक गृहिणी मुस्कुराये
प्रियतम की खुशियों की खातिर पारिवारिक जिम्मेदार निभाये
सोंचे न आज अभी को वो भविष्य को नित रही सजाये
अपने अपनों की खातिर फ़ूलों से घर आँगन महकाये
क्यूँ छोड़ दिया सपना अपना क्या भूल हुई सौ अहसान जताए
उफ्फ न करे रिश्तों की खातिर हंस हंस कर सब सहती जाये
यदि बात लगे कोई कठोर साथी के कटु वचन न भाये
कमजोर नहीं पड़ना कभी उसने अश्रु आँखों से बहते जाये
सुबह जल्दी उठ बने अन्नपूर्णा सभी की उसे चिंता सताये
नम होती आँखें छिपाए मुस्कुराहट के वो आँसू कहलायें।
