अपने और सपने
अपने और सपने
आते है कुछ पल ज़िन्दगी में ऐसे भी,
सपने पूरे करने में छुट जाते है अपने भी।
छूटते से अपने, टूटते हैं सपने,
अगर ना हो साथ अपनों का,
तो लगता अधूरा सा आसमां,
अगर हट जाए सिर साया अपनों का,
तो लगता सपना सा आसमां।
अपने और सपने डोर है ऐसा,
जुड़ जाए जो,
लगती जन्नत सी ये ज़िन्दगी,
ना जुड़े जो,
लगती नर्क सी ये ज़िन्दगी।
ना छोड़ना साथ कभी अपनों का,
काटों का है रास्ता खुशियों का,
मनाकर अपनों को प्यार से,
जोड़ना ये डोर सपनों से।
