STORYMIRROR

Pallavi Sonagote

Others

4  

Pallavi Sonagote

Others

थक गई हूँ खुद को संभाले !

थक गई हूँ खुद को संभाले !

1 min
331

कल परसों की ही तो बात है,

जब देखा था प्यार का रंग।

इश्क को माना था गुरु हमने,

की थी फतह दिल ने।

कल परसों की ही तो बात है,

उसके दर्द में आंसू मेरे निकले थे।

मरहम उसे लगाया था,

सुकून मुझे आया था।

क्या नशा था उन मुलाकातों में,

और उन अनकही बातों में।

कभी सोचा न था,

शिद्दत से चाहने वाले भी,

बदल जाते है चार रातों में।

थी गलती नहीं मगर उसकी,

गलती तो थी उन हवाओं की,

जिसकी छुअन को मैं इश्क समझ बैठी,

वो तो शुरुआत थी पतझड़ वारों की।


था दिल नहीं टूटा,

टूटा था वो आईना।

जिसे देखकर मैं इतराया करती थी,

उसका बचा ना था चीथड़ा कोई।

नशा तो अभी उतरने लगा है,

दिमाग ने खुद को साबित किया है,

पर न जाने क्यों,

दिल ने संभलने से मना किया है।

छिड़ी है अंदर अब जंग ऐसे,

जिसका नतीजा है कि आता ही नहीं,

थक गई हूं खुद को संभाले,

अब तो कोई हमराही भी नहीं।


फिर आया है कोई,

इस बेरंग जिंदगी में,

ओस में बारिशों कि सौगात लिए।

मरहम तो लगा देगा वो पर डर है,

कहीं सूखा ना पड़ जाए इन बादलों में।

थक गई हूँ खुद को संभाले।।


Rate this content
Log in