ARVIND KUMAR SINGH

Abstract Inspirational

4.5  

ARVIND KUMAR SINGH

Abstract Inspirational

दुनिया के मेले

दुनिया के मेले

1 min
285


कंटीली पगडंडियां दर्रे ही दर्र, 

कहीं कोई नजर आता नहीं 

मायाबी जंगल में पार पाने

जीने का जज्बा ही सबसे बड़ा है 


गम ये नहीं कि हम हैं अकेले, 

रिश्तो के भ्रम में दुनिया ही सारी

दिल से अपनों ने क्या कभी पूछा

कौन है कबसे जो बेहोश पड़ा है


ढोंगियों की भीड़ दुनिया का मेला

हर किसी ने यहां हर दिल को तोड़ा

स्वार्थ सिद्धि बस दिल में ठाने

जीवन संघर्ष में डट के अड़ा है


बांध कफन चलने से पहले 

स्वाभाविक सा है मौत से सामना 

खत्म कर दे कब जिंदगानी 

हर मोड़ पर भेडिया जो खड़ा है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract