प्रेम कहानी
प्रेम कहानी
मेरे अरमानों की बदली तुम
मुझ पर ही बरसो मैं चाहूंगा
घनघोर घटाओ संग फिर
मैं बन पानी बह जाऊंगा
बन के आग जो बरसोगे
तो शोला मैं बन जाऊंगा
समेट अपने पहलू तेरी
तपिश भी सह जाऊंगा
शबनम की बूंदों जैसे
तुम जब जब बरसोगे
मेरे आगोश की ठंडक
को ही हरदम तरसोगे
बन बदरिया एक बार
मेरे आंगन जो बरसोगे
बार बार फिर पाने को
मुझे ही हरदम तरसोगे
सौ जन्मों के साथी बन
दुनिया को चलो बता जाएं
लिख के प्रेम कहानी अपनी
एक दूजे में समा जाएं