Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Abstract

3  

लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Abstract

कर्म ही पूजा

कर्म ही पूजा

1 min
370


कर्म ही पूजा, न है कोई दूजा,

कर्म ही है मेरा असली भगवान।

अपने कर्मों से मैं सफ़ल बनूँ,

प्रभु! मुझे बना नेक इंसान।


जो कर्म न करता जीवन में,

अपने धन पर करता अभिमान।

धीरे धीरे जब घटती है दौलत,

न समझ सके इसको इंसान।


सद्कर्म करें हम तन मन से,

पूरे होंगे सब मेरे अरमान।

श्री कृष्ण ने भी महाभारत में,

कर्म योग का दिया है ज्ञान।


दुष्कृत्य होता सदैव गुनाह,

माफ़ करें न मुझे भगवान।

सद्कर्म हमारा भाग्य बदल दे,

हम बने एक अच्छे इंसान।


अच्छे कर्मों से मुझे सम्मान मिले, 

सद्गुणों से खत्म हो मेरा अज्ञान।

कर्म किए जा, न फल की इच्छा,

गीता में कहे कृष्ण भगवान।


सद्कर्म सतत करने से ही,

हमें मिले मनुजता का ज्ञान।

जो हाथ पे हाथ धरे बैठे,

उनका न हो कोई कल्यान।


सद्कर्मों को हम लक्ष्य बना लें,

समाज में लोग करें गुणगान।

सुख का साधन होता है कर्म,

जो देता है जीवन में मुस्कान।


सद्कर्म करें हम सत्पथ पर,

बनना न पड़े मुझे बेईमान।

कर्मों से मिले मुझे समृद्धि,

जग में हो मेरा यशगान।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract