रात अबूझ पहेली...
रात अबूझ पहेली...
रात अबूझ अज्ञेय पहेली
न जाने किस राज़ की सहेली
अंधियारे को कोस ले
या एक कतरा उजाले को चख ले
एकटक निहारे चांद को या
आसमा से सितारे चुनकर भीतर रख ले
अंधेरों के साए हटाकर
परछाई से रूबरू हो जाए
या अंजान बनकर छुप जाए कही
और ईस रात की आखिरी आरजू हो जाए
आधी चंद्रकोर की मुकम्मल रात
या पूरे चांद की अधूरी रात
उस चांद से आधी अधूरी मुकम्मल बात
या दिल ही में रख ले दिल की अधुरी बात
आंधी की लहर जिससे जहन सिहर जाए
या सांसों की धीमी रफ्तार जो तूफान हो जाए
आखिर किस तहलके का अंजाम हो जाए
या उसी सैलाब का शोर होके खुद सुनसान हो जाए।
