हाथ मिलकर बढ़ाएंगे
हाथ मिलकर बढ़ाएंगे
अगला कदम तब सहेज पाओगें,
जब आज अपने कदमों को रोक जाओगे
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना,
ये ख़ुद को कब समझा पाओगें।
आज को बचा पाए तो कल की
पीढ़ी को सीखा पाओगें।
क्या तुमने किया, क्या हमने किया,
कब तलक एक दूजे पर इल्जाम लगाओगे,
ना ईश्वर जला हैं, ना खुदा दफ़न है,
वहाँ तो केवल इंसान को ही ले जाओगे।
लाखों घरों के दीप बुझाओगे,
तो कल अपने घर रोशन कैसे कर पाओगें।
हाथ मिलकर बढ़ाओगे,
तो जंग जरूर जीत जाओगे।
यही नसीहत अपने बच्चों को दे जाओगे।
तभी देश के सच्चे साथी कहलाओगे।
