मैं जिस दिन भुला दूँ, तेरा नाम
मैं जिस दिन भुला दूँ, तेरा नाम
बड़ी दिल्लगी से कलम ने कहा,
मैं राह तेरी, तू मंजिल मेरा।
रंग दूँगी, मैं कुछ तुझे इस तरह,
तू हमेशा रहेगा ,मेरा बस मेरा।
की जब जब चलू मैं
तू हो साथ मेरे।
जो रुक जाऊ तो
बन जाऊं साया तेरा।
की जब जब थामेगा, कोई हाथ मुझको,
तब तब लिखूंगी मैं कोई दास्तान।
ना कोई होगा इस जिंदगी में।
तेरे सिवा, बस तेरे सिवा।

