मेरा देश, मेरी भाषा
मेरा देश, मेरी भाषा
ख़ुद हिंदी का बखान करती हो,और मुझे अंग्रेजी का ज्ञान देती हो।
जब इतना प्यार है अपने वतन की भाषा से,
तो मुझे क्यों विदेशी बनाने में योगदान देती हो
आश्चर्य से देखा,अपने अक्स को कहते हुए।
ताउम्र गुजारी मैंने अपनी भाषा को पिरो कर,
हर गीत में ,हर ग्रन्थ में अपना सर झुका कर,
माँ की लोरियों में भी ,अपनी भाषा को संजोया है,
फिर आज क्यों,खुद को बेबस बनाया है।
अपनी ही संतान को विदेशी भाषा का गुलाम बनाया है।
क्या गुण नही है मेरी भाषा में, फिर क्यों मेरे देश पर अंग्रेजों का शासन छाया है,
हर कोई भीड़ का हिस्सा बना है, मैंने भी तो बच्चो को बनाया है।
ये अपमान खुद मैंने अपनी भाषा पर लगाया है,
देर से ही सही पर ये , ज्ञान मुझे मेरे बच्चे ने बतलाया है।
जिस देश की मैं वासी हूँ, उस देश की भाषा सिखाऊंगी।
हर कोई गर्व करेगा तुम पर, तुम्हे ऐसा इंसान बनाऊँगी।