बेवक़्त की ज़िंदगी से आज संभाल रहा है कोई। बेवक़्त की ज़िंदगी से आज संभाल रहा है कोई।
अब उन घाव पर मलहम लगाने को दिल करता है। अब उन घाव पर मलहम लगाने को दिल करता है।
ऐसा लगता था मुझको तुम मेरे लिए ही आती थीं। ऐसा लगता था मुझको तुम मेरे लिए ही आती थीं।
करती हूँ दुआ पर फिर भी बद्दुआ ही निकली दिल से। करती हूँ दुआ पर फिर भी बद्दुआ ही निकली दिल से।
माना पैसा भी जरूरी है जीवन के लिये, पर पैसा ही सब कुछ है ये सोचना कहाँ तक सही है माना पैसा भी जरूरी है जीवन के लिये, पर पैसा ही सब कुछ है ये सोचना कहाँ तक सही...
ज़ख़्म पे ज़ख़्म खाके जी, अपने लहू के घूँट पी आह न कर, लबों को सी, इश्क़ है दिल्लगी नहीं। ज़ख़्म पे ज़ख़्म खाके जी, अपने लहू के घूँट पी आह न कर, लबों को सी, इश्क़ है दिल...