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नविता यादव

Abstract

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नविता यादव

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एक वादा कर

एक वादा कर

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ना कुरेद उन ज़ख्मों को

हमें भी दर्द होता है,

एक दिल्लगी सी हो गई है हमें

अब उन घाव पर मलहम

लगाने को दिल करता है।


क्यों रोए हम बेवक्त, बेइंतेहा

अब हमें भी हंसने का मन करता है

जिंदगी मिली है एक ही हमें

अब हमें भी जीने का मन करता है

ना कुरेद उन ज़ख्मों को हमें भी दर्द होता है।


ना गिला ना शिकवा करें किसी से

हम भी जी ले बस अपनी खुशी से,

अब दिल एक "ठेराओ "चाहता है

आओ एक क़दम उठाए यहीं से हम।


जब भी मिले हसीं के नगमे छेड़े

बहुत थकावट सी हो गई है चलते- चलते

आओ कुछ देर बैठे और सुस्ता ले

कुछ तुम अपनी पोटली से निकालो

कुछ हम अपनी पोटली से निकाले

आपस में मिल जुल कर सिर्फ़

ख़ुशी के पलों को छांट ले,


ना कुरेद उन ज़ख्मों को हमें भी दर्द होता है

एक दिल्लगी सी हो गई है हमें

अब उन ज़ख्मों पर

मलहम लगाने को दिल करता है।


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