ज़ख़्म पे ज़ख़्म खाके जी, अपने लहू के घूँट पी आह न कर, लबों को सी, इश्क़ है दिल्लगी नहीं। ज़ख़्म पे ज़ख़्म खाके जी, अपने लहू के घूँट पी आह न कर, लबों को सी, इश्क़ है दिल...