रूह का रिश्ता
रूह का रिश्ता
तन्हा था मैं
रास्ता चल रहा है कोई
धीरे धीरे ज़िंदगी में
उतर रहा है कोई
क्या तिशनगी थी मन में
जल रहा है कोई
क्या कशिश क्या दिल्लगी
फिर से यहाँ पिघल रहा है कोई
बेवक़्त की ज़िंदगी से आज
संभाल रहा है कोई।
तन्हा था मैं
रास्ता चल रहा है कोई
धीरे धीरे ज़िंदगी में
उतर रहा है कोई
क्या तिशनगी थी मन में
जल रहा है कोई
क्या कशिश क्या दिल्लगी
फिर से यहाँ पिघल रहा है कोई
बेवक़्त की ज़िंदगी से आज
संभाल रहा है कोई।