विधाता तेरी केसी ये लीला
विधाता तेरी केसी ये लीला
विधाता तेरी कैसी ये लीला
कभी चेहरे पे ख़ुशी
कभी चेहरा पड़ जाये पीला
कभी सुबह लगे सुहानी
कभी उस पे कहर कहानी
कहीं लहराते खेत की कहानी
कहीं सूखे से धरती रो जानी
कहीं शबनम और फूल खिलखिलाते
कहीं बाढ़ में पूरे गांव बह जाते
कहीं दिखे उत्तंग बर्फीली चोटियाँ
कहीं बिखरे लावा की गोटियाँ
बस में नहीं कुछ भी हमारे
वही नीति जो लिखी हाथों में हमारे
जो जनम लिया वो विनाशी है
हे विधाता तू ही अभिलाषी है...
तू चाहे तो जग को हंसाये
तू चाहे सब को रुलाये
कभी तू रौद्र कभी तू रंगीला
विधाता तेरी कैसी ये लीला...
