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Hemisha Shah

Abstract Romance

4.7  

Hemisha Shah

Abstract Romance

अनजाना....

अनजाना....

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अनजाना था फिर भी जाना था

नज़रो से नज़रे मिली 

फिर कौन बेगाना था।।


दिलसे दिल की बात हुई 

फिर ये दिल मस्ताना था।।


किसी ये ज़िंदगीकी सफर 

साथ उसका जेसे मैं दीवाना था।।


दिल से वार गई मेँ उसपे 

घर आँगन उसका साजाना था।। 


ऐसी महोब्बत दिल से लगी के 

उसकी महोब्बत मेँ ही 

मर जाना था...।।


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