कल्पना को हकीकत बना नहीं पाती हूँ कल्पना को हकीकत बना नहीं पाती हूँ
शून्य खड़ा अभिलाष नहीं ,कुछ नही हमारा उलहन है. शून्य खड़ा अभिलाष नहीं ,कुछ नही हमारा उलहन है.
कहीं शबनम और फूल खिलखिलाते कहीं बाढ़ में पूरे गांव बह जाते कहीं शबनम और फूल खिलखिलाते कहीं बाढ़ में पूरे गांव बह जाते
संकट आ जाती थी अपना अधिकार माँगने में ही उनके अस्तित्व पर। संकट आ जाती थी अपना अधिकार माँगने में ही उनके अस्तित्व पर।
पवित्र हृदय उसका है होता, जो गुरु दर्शन का अभिलाषी है। पवित्र हृदय उसका है होता, जो गुरु दर्शन का अभिलाषी है।
एक तरफ जब पार्थ खड़े थे दुर्योधन भी झुकता था। एक तरफ जब पार्थ खड़े थे दुर्योधन भी झुकता था।