अता पता
अता पता


कविता की किताब पर
कवि का नाम होता है
रंग बिरंगे चित्र पर
चित्रकार का नाम होता है
देश दुनिया पर हुकूमत करने वाले
शासक का नाम चलता है
बस एक तुम्हारे ही नाम का
कुछ अता पता नहीं
जैसे किसी बच्चे का नाम
अपनी पसंद के हिसाब से
चुन्नू मुन्नू टोनी रख देते हैं
वैसे ही सबने अपनी अपनी पसंद से
तुम्हारा नामकरण कर दिया है
जब तक तुम अदृश्य व निराकार रहोगे
इसी तरह अनेकानेक नामों से पुकारे जाते रहोगे
ठीक है
निराकार ही रहो
अदृश्य ही रहो
तुम्हारी असलियत जाने बिना
सबने कथा कहानी बुन लिए हैं
तुम्हारी इच्छा अनिच्छा जाने बिना
अपने अपने कर्मकांड तैयार कर लिए हैं
तुम्हारी पसंद नापसंद जाने बिना
बाजार खड़ा कर दिया है
तुम्हारी रुचि अरुचि का ख्याल किए बिना
तंत्र मंत्र यंत्र का तानाबाना रच लिया है
तुम्हारी चुप्पी व खामोशी
सुहाने लगी है
हमारी स्वच्छंदता में
कोई खलल नहीं
विघ्न बाधा नहीं
अच्छी है हमारी धरती भी
स्वर्ग तो नहीं देखा
किंतु कुछ कुछ वैसी ही है यह भी ।