लोगों_को_नहीं_पता #अपने_और_पराये
लोगों_को_नहीं_पता #अपने_और_पराये


लोगों को नहीं पता है उन लोगों की बातें
करते है दिन रात वो जिन लोगों की बातें
लोगों को नहीं पता की अपने नहीं तड़पाते
अपने ही तो बनते है जो शुरू शुरू में तड़पाते
लोगों को नहीं पता अकसर अनजाने ही साथ निभाते है
फिर भी न जाने क्यों अनजाने उन्हें नहीं भाते है
लोगों को नहीं पता वो ही लोगों को समझाते है
जो खुद अकसर खुद की उलझन में खुद ही उलझे जाते है
जो सपना देखो तो उसे सपना न समझना
क्योंकि तुम सब को नहीं पता हकीकत ही है सपना
और जो लोगों को नहीं पता वो में कैसे समझाऊँ
क्योंकि में भी उन लोगों में जो ना लोगों के मन को भाऊँ