विवाह
विवाह
शुभ विवाह का दिन आया है,
चौक को तेल और चंदन से सजाया है,
ढोल ताशे बाजे का माहौल मेरे आंगन में छाया है,
आज दिन गौरी पूजा का आया है,
भोपाल से थाल भी सज के आया है,
चूड़ी, पायल, गहनों के साथ ढेर सारा प्यार भी आया है,
मेहंदी जो रची हाथ उसने मेरे मन को महकाया है,
हल्दी जो लगी तन को उसने मेरे तब को चमकाया है,
आखिर अपने घर को मायका कहने का दिन आया है,
संगीत की रात हर मंगल गीत गाया है,
रज रज के सखियों ने सोलह श्रृंगार में मुझे सजाया है,
आज इस दिन मन में कई सवालों
का तूफ़ान आया है,
उन्हें देख कर हमने आंखों को हल्के से झुकाया है,
अग्नि के सामने आज कई रस्मों को हमने निभाया है,
गठबंधन की गाठ ने रिश्ते की मजबूती का एहसास कराया है
सिंदूर और धागे से एक नया रिश्ता आज बनाया है,
आज वक़्त ने एक नए परिवार से मुझे मिलाया है,
अब वही तुम्हरा संसार है मां ने ये समझाया है,
बेटी का घर त्यागना दस्तूर है आज ये समझ आय है,
होगी आंखे कभी ना नम हमसफ़र ने ये एहसास दिलाया है,
मुझे मुझसे बेहतर समझे ऐसे हमसफ़र से मुझे मिलाया है,
जीवन में भोपाल से एक नया मोड़ आया है,