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Prafulla Kumar Tripathi

Abstract Drama Classics

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Prafulla Kumar Tripathi

Abstract Drama Classics

यह संसार!

यह संसार!

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प्राण बिन्दु जब बना रहेगा, 

अपना यह परिवार।

चलता रहा है और चलेगा, 

अद्भुत यह संसार।।


सुख सम्पदा, पीर-खुशी सब, 

मिल कर सब बांटेंगे।

कठिन घड़ी में मुश्किल भी सब, 

हंस हंस कर काटेंगे।।


नदी भयावह कितनी भी हो, 

कर लेंगे सब बेड़ा पार।

चलता रहा है और चलेगा, 

अद्भुत यह संसार।।


धुरी सत्य पर टिकी हुई हो, 

त्याग भावना बनी हुई हो।

मिले मान- सम्मान बड़ों को, 

अनुशासन पर दृष्टि कड़ी हो।।


मिले प्रेम- सदभाव सेतु को, 

अद्भुत मधुमय धार।

चलता रहा है और चलेगा, 

अद्भुत यह संसार।।


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