फ़िल्म
फ़िल्म
चलचित्र
समाज का आईना
होती ये फिल्म
कभी ख्वाब में,
तो कभी हकीकत का रूप लेती फ़िल्म
जो न देखे आम इंसान
वो सब कुछ दिखाती फिल्म
कभी गूंगी बहरी थी
थे केवल चलचित्र
समय के साथ
बदला फिल्मों का रूप रंग
कई भावों को एक साथ
दिखाती फिल्म
फिल्मी दुनिया बड़ी अनोखी
छूती आसमान, तो कभी
धरा चुम्बी बन जाती
पल भर में हंसाती,
तो कभी पल भर में रुलाती
एक साथ कई भावों से
हमें बुदबुदाती फिल्म।