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Dr Reshma Bansode

Abstract Drama Others

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Dr Reshma Bansode

Abstract Drama Others

पैसा

पैसा

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पैसा पैसा और पैसा,

क्या कुछ नहीं करता ये पैसा।

किसी भिखारी की झोली में गिर जाए,

तो चेहरे पर मुस्कुराहट सजाए ,

पेट की दाह को मिटाए।


स्कूल जाते बच्चे की जेब में जाए ,

कोई राह चलते कैंडी की दुकान से मुंह मीठा कर आए ,

कोई अपनी पिग्गी बैंक में जमा कराए।


कॉलेज जाते युवक की जेब में जब जाए,

कैंटीन या थेटर में मजे कर आए,

या फिर किताबें खरीदने के लिए बचाए।


जब किसी गृहिणी की जेब में जाए,

बाजार आए, सभी का मनपसंद खाना बन जाए।

सुख दुःख के माहौल को संभाल ,

सारी गृहस्थी संभल जाए।


पैसा पैसा और पैसा

क्या कुछ नहीं करता ये पैसा।

कभी कभी ये विपत्तियां भी लाए।

जब कोई लालची इसे छीन ले,

किसी के खुशियों के भंडार से।

हात बदलते ही ये पैसा,

अपने नए रंग दिखलाए।

कटु इंसान इसे से अच्छों को, 

मुसीबत में डलवाए।


घर बसाने वाला पैसा,

फिर बसा घर उजड़ दे।

जिंदगी नेस्तनाबूद कर,

बसी दुनिया बिखराए।


पैसा पैसा और पैसा,

क्या कुछ नहीं करता ये पैसा।

कभी मंदिर में दक्षिणा बन,

मन्नत पूरी कर जाए।

पैसा पैसा और पैसा

क्या कुछ नहीं करता ये पैसा।


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