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Dr Reshma Bansode

Abstract Drama Tragedy

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Dr Reshma Bansode

Abstract Drama Tragedy

आज़ाद होना चाहती हूं

आज़ाद होना चाहती हूं

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आज़ाद होना चाहती हूं,

जिंदगी जीना चाहती हूं।

जिंदा हूं लेकिन,

जीवन महसूस करना चाहती हूं।


जिंदा रखने आपनेआप को,

हर रोज कोइ सौदा करती हूं।

हर एक मेरी सांस की,

कीमत दे कर जीती हूं।


स्वछंदता से एक पल

खुलकर सांस लेना चाहती हूं।

आज़ाद हो कर मैं,

कुछ पल जीना चाहती हूं।


धड़कन को भी हर बार

बंधन के चक्र में रखती हूं।

कोई गर शोर सुनले इसका

जिंदगी तबाह न कर दे फिर ।


जिंदा रहने और जीने में,

जीवन चुनना चाहती हूं।

जिंदा हूं लेकिन मैं,

जिंदगी जीना चाहती हूं।

आज़ाद हो कर मैं भी,

जीवन महसूस करना चाहती हूं।


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