सफलता
सफलता
ऊंचाई शिखर की हमेशा पुकारती रही,
अपने पास आने को सदा ललचाती रही ।
उस मंजर तक पहुंचना मानो जैसा एक जुनून था,
हासिल होगा वह एक दिन तब ही दिल को सुकून था ।
सामना मुश्किलों से होगा ,
यह जानता था मैं।
हर इंतिहा से गुजरने को ,
तैयार था मैं ।
हौसला बुलंद था ,
राहें भी मुश्किल ,
शिखर मुझे पुकार कर आवाज दे रहा था ।
चल पड़ा मैं फिर ,
उस अनजान सफर पर ,
गिरता कभी, भटकता कभी संभल जाता मगर मैं ।
आंधी तूफानों ने भी कई बार रास्ता रोका,
रुक जाता फिर मैं पल भर को उन्हें थम जाने देता ।
मेरी हौसले देखकर वह भी रास्ता दिखाते मुझे,
कठिन परिस्थिति ही चलना सिखाती है मुझे ।
कभी रुकता, कभी चलता ,
लेकिन हार नहीं मानता मैं ,
अपनी सफलता की ओर कदम बढ़ाता रहता में ।
