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Renu Sahu

Drama Inspirational

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Renu Sahu

Drama Inspirational

द्वितीया (श्वेत रंग)

द्वितीया (श्वेत रंग)

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रवि उतरे, रजनी चली जाए,

काल चक्र जब गति पर आए।

मंदिर-मंदिर घंटे बजते,

अक्षत, रोली, दीप है सजते।।


योग, तप, वैराग्य सिखाती,

ब्रम्ह्चारिणी माँ कहलाती।

जप की माल, कमंडलधारी,

पीड़ा हरती माँ सुखकारी।।


हे ब्रम्ह्चारिणी! प्रेम स्वरूपा,

कठिन तप करि शिव शम्भू का।

दुग्ध-पंचामृत भोग लगाए,

गुरु भक्ति, समर्पण सिखलाए।।


रहती हवा में सती अपर्णा,

धन-वैभव, सुख-समृद्धि दीन्हा।

निष्ठावान माँ, ज्ञान प्रतिका,

नमो तपश्चारिणी! द्वितीय नवदुर्गा।।


श्वेत रंग कहे शांति धरना,

पावन भाव, प्रेम से बहना।

निस्वार्थी बन, जीवन तारो,

रंग श्वेत आत्मा रंग डालो।।


ध्यान तेरा, संयम सिखलाए,

मन विचलित ना होने पाए।

पुण्यकृत्य माँ, तप जो साधा,

हिला ना पाई कोई बाधा।।


मोहक मूरत, सबको भाए,

शांत शील माँ दर्शन आए।

श्वेत पीत है आँचल तेरा,

जिसमें सारा जहाँ समेटा।।


उमा, कुमारी रूप तुम्ही से,

श्वेत सादगी रंग तुम्ही से।

कुंवारी कन्या पूजी जाती,

विवाह लग्न में जो बंध जाती।।


विद्यार्थी जीवन माँ सिखलाती,

ज्ञान अर्जन का मार्ग बताती।

स्वच्छ-निष्कपट, मन जो बनाए,

तेरी कृपा सहर्ष मिल जाए।।


शशि सम उतरे शांति तेरी,

अद्वितीय ऑरा कांति तेरी।

सुमरन करके भोग लगाए,

दूजे दिन माँ, तू हर्षाए।।


श्वेत वस्त्र, वैराग मन, करते तेरा ध्यान।

हे ब्रम्ह्चारिणी! माँ दुर्गा, करो सबका कल्याण।।


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