रेणु हू बिखरी सी, इठलाती नदी और कोमल फूल भी... ना करना स्वाभिमान को आहत, हरगिज ओ प्रिये! वर्ना हू गुलाब की शूल भी....
जरूरत नहीं दुनिया के ताने बाने में, खुद को उलझाने की। जरूरत नहीं दुनिया के ताने बाने में, खुद को उलझाने की।
प्रकृति का ये सुन्दर चित्रण, हर चित्र में अपनी ही दुनिया शुरू होगी। प्रकृति का ये सुन्दर चित्रण, हर चित्र में अपनी ही दुनिया शुरू होगी।
क्यों एहसास है इसे, वहाँ भी ऐसा कुछ टूटा है। क्यों एहसास है इसे, वहाँ भी ऐसा कुछ टूटा है।
गिर-गिर के उठना नाम जिंदगी, क्या करना छोटी-छोटी तकरारो का। गिर-गिर के उठना नाम जिंदगी, क्या करना छोटी-छोटी तकरारो का।
पूरक माना, सबल भी जाना जगत का भार दोनों में आधा आधा पूरक माना, सबल भी जाना जगत का भार दोनों में आधा आधा
मासूम सी दो शक्ल थी , कितने प्यारे से फर से लिपटे थे। मासूम सी दो शक्ल थी , कितने प्यारे से फर से लिपटे थे।
तेरे साड़ी का मात्र हिस्सा नहीं दादी, हमारे लिए वरदान था। तेरे साड़ी का मात्र हिस्सा नहीं दादी, हमारे लिए वरदान था।
लाल वर्ण में सज्ज प्रियतमा, कोमल पग भरती दिखी। लाल वर्ण में सज्ज प्रियतमा, कोमल पग भरती दिखी।
सीखने की उम्र नहीं, सारी जिंदगी सीखना है। सीखने की उम्र नहीं, सारी जिंदगी सीखना है।
अलौकिक देव पुरुष, करती वंदन, हे पितृ शक्ति, कोटि कोटि नमन। अलौकिक देव पुरुष, करती वंदन, हे पितृ शक्ति, कोटि कोटि नमन।