नर-नारी, विचार एक.....
नर-नारी, विचार एक.....
जैसे एक सिक्के के दो पहलू
दिन रात की जोड़ी हैं
नर और नारी, विचार एक
बात बहुत ही गहरी हैं
हैं बलिदान त्याग की रोचक गाथा
सौंदर्य वीरता की परिभाषा
पूरक माना, सबल भी जाना
जगत का भार दोनों में आधा आधा
धरु माथ, नतमस्तक हो जाऊँ
अलौकिक विचार, शक्ति हेतु
न लिंग-भेद, बस बहे समता
अहम् नहीं, रहे बस हम ही
बड़ी नाजुक सी रेखा बीच,
विभाजित करती कर्तव्य कई।
ना लड़ो, आडम्बर रूपी समानता की खातिर,
एहसासों से समझोगे बात सही।