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Renu Sahu

Drama Classics Inspirational

4  

Renu Sahu

Drama Classics Inspirational

पिता (पितृ शक्ति..‌)

पिता (पितृ शक्ति..‌)

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गहरे अंधियारे रातों मे भी रास्ते, 

साफ़ दिखाई देते हैं।

आंधियां उजाड़े लाख चमन, 

ठहराव दस्तक देते हैं।

हो तूफ़ानों सा गहरा सागर कितना,

नांव पार लग ही जाता है।

उन के बस होने का एहसास, 

और हल, 

सबका निकल ही आता है।

हम सब की जिंदगी में, ये जो सुपर हीरो होते है,

दुनिया पिताजी कह कर उन्हें सम्मान देते है। 


अभिमान और गर्व से उड़ता, स्वच्छंद परिंदा देखा है,

मैंने मेरे पिता का सर, सर्वदा ऊँचा देखा है। 

सच और कर्तव्य का, मिला जुला स्वरुप है। 

सादगी यथार्थ का, एक अनोखा रूप है। 

जीवंत करते एक कथनी, जिससे कलेजा पत्थर बन जाता है। 

वह सर झुक नहीं सकता, जिसे कट जाना आता है। 

एसे मिशाल दे बालक को रीढ़ की हड्डी देते है। 

नजर अंदाज करते हुए भी पिता, नजरो मे बालक को रखते हैं। 


हे श्री फल आवरण वाले, 

सृष्टि सम देवतुल्य, जिनको माने।

अटल हिय के रहस्य तुमसे, 

रक्षक तुम, अनश्वर देव कृपा तुमसे।

बिन अश्रु, वात्सल्य प्रीति जिनसे, 

जग के छल कपट के तोड़ तुमसे।

अलौकिक देव पुरुष, करती वंदन, 

हे पितृ शक्ति, कोटि कोटि नमन।


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