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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

4.5  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

"बिछड़ गया,प्रिय मित्र मेरा"

"बिछड़ गया,प्रिय मित्र मेरा"

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बिछड़ गया है, प्रिय दोस्त मेरा

दिन में हो गया है, आज अँधेरा

छद्म दुनिया ने निगल लिया है

अच्छा-भला था, जो मित्र मेरा


यह क्या से क्या यह हो गया है,  

मेरा मित्र कहां पर खो गया है

छद्म जग ने घाव किया, गहरा

आंसुओं का हुआ, ऐसा सवेरा


फिर कभी न हुआ हंसी चेहरा

हर तरफ बस निराशा ने घेरा

अब न कंधे पर मित्र हाथ तेरा

बिछड़ गया है, प्रिय दोस्त मेरा


अब चहूँ ओर छाया है, अँधेरा

इस दुनियादारी ने लूट लिया

इकलौता कोहिनूर सुनहरा

बिछड़ गया है, प्रिय दोस्त मेरा


गुज़रे वक्त ने, नये वक्त साथ

कैसा यह साखी, खेल खेला

कप्तान ने हराया, टीम चेहरा 

क्रूर वक्त ने दिया दगा, गहरा


बिछड़ गया है, प्रिय दोस्त मेरा

ख़ास वो फिर से ल

ौट आये

फिर से वीराने में बहार आये

आ जा, बहुत हुआ, इंतजार तेरा


टूटा, पत्थर का भी धैर्य गहरा

अब तो आईने ने भी छोड़ दिया

आईने भीतर अक्स देखना मेरा

तेरे जीवन में जब भी हो अँधेरा


मैं साथ दूंगा, जलकर दीप सुनहरा

तू रूठे, चाहे मित्र मुझे गालियां दे

सही, रास्ते की ओर मोडूंगा, मुख तेरा

चाहे इस कारण टूटे, दोस्ताना मेरा


तेरे हित के लिये, कितना बुरा बनूं

परवाह नहीं, मैं हूं, सच्चा दोस्त तेरा

बिछड़ गया है, अतिप्रिय दोस्त मेरा

एक दिन तू लौटेगा, ऐसा यकीं मेरा


क्योंकि मेरी दोस्ती में छिपा हुआ,

भगवान का एक अनमोल चेहरा

कर्ण नहीं, पर उससे कम भी नहीं

मित्र नव तेरे प्रति दोस्ताना मेरा



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