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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

"पॉलीथिन पर रोक"

"पॉलीथिन पर रोक"

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आजकल पॉलीथिन पर लगी हुई है, रोक

कुरकुरे की पॉलीथिन चल रही, बेरोकटोक

क्या अजीब लगा हुआ है, सरकार को शौक

आम आदमी के लिये पॉलीथिन पर है, रोक


बाकी अन्य के लिये जारी है, पॉलीथिन थोक

न बंद हुई, घी थैली, न बंद हुई नमकीन थैली

न बंद हुई छाछ थैली, न बंद हुई नमक थैली

हर पैकिंग की चीज चल रही हैं, बेरोकटोक


सब्जी मंडी, छोटी दुकानों पर लगी है, रोक

वाह रे, सरकार तुझे लगा दोगली नीति रोग

जाने कब खत्म होगी, पक्षपात की सोच

आजकल पॉलीथिन पर लगी हुई है, रोक


अंधेरे से जला रहे, अमीर रोशनी के स्रोत 

जानते है, पॉलीथिन की खत्म न होती, गोत्र

सरकार से साखी करता है, निवेदन बहुत

सरकार अपना पक्षपाती रवैया दे, छोड़


सबके लिये बनाये, एक जैसा नियम जोंक

कंपनी, आम के लिये एक जैसा हो ढोल

बल्कि में तो कहता हूं, पूरी तरह लगे रोक

पॉलीथिन का विकल्प ले, सरकार खोज


पराली, गन्ने भूसी से बनाये, थैलियां बहुत

जो प्रकृति हितैषी, जल्दी नष्ट होती, बहुत

आओ खोजे, प्रकृति अनुकूल बनाये दोस्त

पॉलीथिन पर लगा दे, पूर्णतः मन से रोक


मोबाइल का गर उठा सकते, 200 ग्राम बोझ

तो कपड़े थैली में कौन सा है, 1 किलो बोझ?

गर आदतें सुधार ले, हम लोग अपनी रोज

कैसे न होगी, पॉलीथिन समस्या जमींदोज?



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