STORYMIRROR

दिनेश कुमार कीर

Abstract Drama Inspirational

4  

दिनेश कुमार कीर

Abstract Drama Inspirational

नित लिखते हो एक कहानी

नित लिखते हो एक कहानी

1 min
384

तुम लिखते हो गुलमोहर को और लिखते हो रात की रानी, 

तीजे पहर के राजा हो तुम नित लिखते हो एक कहानी।


कोयलों की सुर तुम लिखते हो और मल्हारों के गीत भी, 

प्रेम में नित मनुहार हो लिखते और लिखते हो मौन प्रीत भी।


पारिजात सी एक लड़की पर सात सुरों का सरगम लिखते, 

पढ़ी लिपियां कितने तुमने सब में प्रेम एक से दिखते।


कल्पनाओं के स्याही से तुम लिखते हो अवसाद हमारे, 

सच ! कहती हूं तुम सा अबतक देखा नहीं कोई भी प्यारे।


प्रेम के सारे मर्म जानते हर एक भाव को लिखते तुम हो, 

कहा से लाते शब्द ढूंढकर इन शब्दों में दिखते तुम हो।


कितनी लिपियां समझी तुमने पढ़ा व्याकरण और भाषाएं, 

कत्थई आंखों में झांक कर तुमने संजोया आशाएं।


रश्मिरथ पर बैठकर तुमने कर ली परिक्रमा ख्वाबों की, 

बरसी खूब है कत्थई आंखें शिवासमुंद्रम की बूंद बूंद सी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract