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Neha Singh

Abstract Inspirational

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Neha Singh

Abstract Inspirational

हां मुझे फ़र्क पड़ता हैं मां

हां मुझे फ़र्क पड़ता हैं मां

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मुझे फर्क पड़ता है मां हां मुझे फर्क पड़ता है तुम्हारे होने से

अगर आज तुम जंजीरे तोड़ कर खुद के लिए आगे बढ़ती हो तो

कल मेरे लिए नए दरवाजे खोलती हो

हां मुझे फर्क पड़ता है तुम्हारे होने से

क्योंकि तुम्हारे अंश से मैं अपना वंश चलाती हूं

हां मुझे फर्क पड़ता है तुम्हारे होने से

अगर आज तुम खुद के लिए लड़ती हो तो कल मेरे लिए

समाज में हौसला बनती हो अगर आप खुले आसमान में

उड़ती हो तो मुझे फर्क पड़ता है मां

क्योंकि मेरे लिए आसमान साफ होगा ढेर सारे सपनों के साथ

नई उम्मीदों के संग नए रंगों के पंखों के संग

क्योंकि कल मुझे उड़ने के लिए नए पंख मिलेंगे

हां मुझे फर्क पड़ता है तुम्हारे होने से मां

अगर आज तुम खुद के लिए आवाज उठाती हो तो

कल मेरे लिए समाज में उठने वाली आवाज बंद होगी

तुम निडर हो मां तुम देवी का स्वरूप हो

संसार की रूपरेखा हो संस्कारों

की पीढ़ी हो

एक बेटी का सम्मान हो देश का अभिमान हो

हां मुझे फर्क पड़ता है तुम्हारे होने से


एक हाथ से ढेर सारे रिश्ते छूटते हैं तो

तुम दूसरा हाथ आगे बढ़ाती हो खुद चावलों को ठोकर मारती हो

अपने सारे सपने मिलो दूर फेंकती हो

एक परिवार को नई उम्मीद देती हो

हां मुझे फर्क पड़ता है तुम्हारे होने से क्योंकि

मुझे ये नए रिश्ते निभाना घर को जोड़े रखना

सपनों संग उड़ना खुद के लिए आवाज उठाना

बस जाते जाते मुझे सीखा जाती हो मां क्यों मां ,

तू खुद के आंसू छुपाकर हमें हँसना सिखाती हो

क्यों अपने सपनों के रंग हमारी खुशहाल जिंदगी में भरती हो

मेरे लिए समाज में उठने वाली उंगलियों

तुम अपने ऊपर लेती हो ताकि मैं अपने जीवन में सुरक्षित रह पाऊं

हां , मुझे फर्क पड़ता है तुम्हारे होने से मां

इसलिए तुम मेरी इकलौती मां हो सुख दुख की सहेली हो ।।


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