ऐसा है मेरा सिटी ब्यूटीफुल
ऐसा है मेरा सिटी ब्यूटीफुल


वो कमरे में खिड़की के पास का कोना
पेड़ के पत्तो में ढूंढती चांद की रोशनी
वो गीली मिट्टी की भीनी खुशबू की ललक
झुरमुट में ताकती मुझे दुपहरिया
जिसके उत्तर में बरफ से ढके
पहाड़ों की खूबसूरत झालर है
पश्चिम में फैली खेतो में दूर तलक
मखमल सी कोमल हरियाली है
पूर्व में रवि की किरने
नेह का दुलार है
दक्षिण जिसमे रातो के जुगनू की सी
चांद की उजली जाली की बिछी चादर है
ऐसा है मेरा सिटी ब्यूटीफुल
बारिश में भीगी मिट्टी की मंदमुग्ध
रंगो से सने बच्चो के कपड़े
प्रेम मोहब्बत से भरा,
ये रंगों त्यौहार है
जिसमें राधा कृष्ण का
जिक्र बेसुमार है
तभी तो आज तक
अपनो में स्नेह प्यार है
इसलिए रंगों के त्यौहार को,
हर मजहब के लोग मनाते हैं
ऐसा है मेरा सिटी ब्यूटीफुल ।
वो रॉक गार्डन के चूड़ियों से बने शरीर
रोज गार्डन में बिखरे फूल
खेलते छोटे बच्चे
सड़को पर घूमती गाडियां
पहरा देती ट्रैफिक पुलिस
रूल सिखाती चंडीगढ़ पुलिस
जहां पराए भी अपने से लगते हैं
पेड़ों से झड़ते पत्ते
फूलों से जगमगाती राहें
चांद की रोशनी में चमकता गुरु का द्वार
माथा टेकते नन्हीं सी डालिया
जहां हवाओं की तरह सबके मन है
ऐसा है मेरा सिटी ब्यूटीफुल ।