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Jain Sahab

Abstract

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Jain Sahab

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मीत

मीत

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यूं तो मीत ग्राम का कुदरती खूबसूरती के कारण बड़ा नाम था

पर क्या होता है असली याराना इस बात को दर्शाता मित्र मंडली का भी एक घराना था।

दूर दूर तक थे इन यारों के चर्चे, इनके हुनर से भी ज्यादा मशहूर थे एक दूजे पर जान छिड़कने के किस्से।

मीना यूं तो पूरे गांव का तन्मयता से इलाज करती थी

पर अपनी मित्र मंडली की सेेेहत को लेेेकर कुछ अधिक ही सजग रहा करती थी।

और राज के तो थे क्या ही कहने , गांव के हर नए घर के उसी ने तो गडेे़ थे नक्शे व नमूूूने।


राजीव का अपना बावर्चीखाना था, विभिन्न प्रकार के जायकों का उसके पास खजाना था।

राजा करता पूूूरे गांव की रखवाली था, प्रेेेरित जिसके लिए करता उसेे अपनी बहन बानी का प्रेम था ।


यूं तो इन दोस्तों के पास कोई कमी नहीं थी पर 

अक्सर खटक जाती थी बानी को खाना बनाते हुए और दूूूजा काम करते समय अपने एक हाथ की कमी थी। 


पर राजा को फिर भी अपनी बहन पर नाज था

सभी मित्रों की मदद से बानी ने पाया अपना खोया आत्मविश्वास आज था।


हुआ यों था कि गांव में राजा को उसके साहस के लिए सम्मानित करने को सरपंच ने रखी एक छोटी सभा थी

अपने जांंबाज लाल की एक झलक पाने को आतुर भीड़ थी।

यूं तो अपने भाई पर बानी को नाज था पर न जाने क्यों किसी अनजानी आशंका से उदास उसका मन आज था।


राजा का प्रेेरक भाषण सुन वह गौरवान्वित हो रही थी

तभी नीम के पेड़ के पीछे से उसे सुनाई दे रही आशंकित आहट थी।


सभी की नजर से बचतेे हुए जब आहट का उसने पता किया तो पेेेड़ के पीछे के नजारे ने उसे चौंका दिया।


मित्र मंंडली यहां अपनी प्रिय बानी को न पाकर चिंतित थी ,

यह जानकर घबरा जाए न राजा ये चिंता भी उन्हें किंचित थी।

तभी पेड़ के पीछे से बंंदूक की गोली और किसी के गिरने की आवाज़ आई, 

" रुक" कह किसी ने सिंहनाद लगाई।


गाँव वाले भागे उस आवाज की ओर,

"चोर चोर " का चहुंंओर मच गया शोर।


दौड़ कर पहुंची मित्र मंडली बानी के पास,

और राजा ने किया हमलावर पर वार।

जब पकड़ा गांव वालों ने उसे तो उगली उसने सच्चाई,

राजा को मारने की थी उसने योजना बनाई

पर बानी और मित्र मंडली ने कर डाली थी उसकी धुुुनाई।


अब राजा अपनी बहन पर और गौरवान्वित था

अपनी एक हाथ की कमी को बना डाला बानी ने अपनी ताकत था,

पूूरा गाँव कर रहा था प्रशंसा मित्र मंडली की भूरि भूरि,

एक दूसरे की थी ये सभी ताकत, न था कोई किसी की कमजोरी।


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