वो बारिश
वो बारिश
कुछ फर्क ना रहा अश्क
और फलक की बूंदों में,
न ठहरे तुम्हारे कदम,
न ठिठकी साँसे कुछ पल भी
न जाने क्यों लगता है पुकारोगे
तुम कहीं से तो अब भी
आवाज हो न हो बस आहट ही सही
दबे कदमों की सुगबुगाहट ही सही
खोजती है निगाह अब भी वो समां
जिनमें कहीं दर्ज हो तेरा नाम-ओ- निशान।

