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मिली साहा

Abstract Inspirational

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मिली साहा

Abstract Inspirational

आओ पृथ्वी को बचाएं हम

आओ पृथ्वी को बचाएं हम

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पृथ्वी और पर्यावरण से जब हम सब करेंगे प्यार,

तभी तो हमारे लिए खुल पाएंगे संपन्नता के द्वार,

दिन प्रतिदिन पेड़ पौधों को हम करते जा रहे नष्ट,

इससे हमारी आने वाली पीढ़ी कितना सहेगी कष्ट, 


लगातार बिगड़ता ही जा रहा है धरती का संतुलन,

बढ़ते प्रदूषण से दूषित हो रहा है हमारा पर्यावरण,

पृथ्वी को देंगे कष्ट अगर तो चैन से कहां रह पाएंगे,

अगर न होंगे पेड़ पौधे तो हम सांस भी न ले पाएंगे,


घातक है, पृथ्वी के तापमान का जो गिर रहा स्तर,

चलता रहा यही तो जीवन हो जाएगा तितर-बितर,

ग्लोबल वार्मिंग की यह समस्या है बड़ी खतरनाक,

माँ समान पृथ्वी को कष्ट देना, है कितना शर्मनाक,


पर्यावरण को इसी प्रकार अगर करते रहेंगे दूषित,

तो आने वाली पीढ़ी का भविष्य ना होगा सुरक्षित,

दूर नहीं वह दिन प्रदूषण हमारा काल बन जाएगा,

पृथ्वी पर हमारा जीवन जीना असंभव हो जाएगा,


प्राकृतिक संपदा से संपन्न पृथ्वी को हमने पाया है,

ईश्वर ने पृथ्वी पर जीवन कितना सरल बनाया है,

पर हमने तो स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है,

अपना ही नुकसान करो, इसमें कहां समझदारी है,


प्रदूषण बने काल उससे पहले ही संभल जाना है,

ईश्वर की इस नेमत को, हर हाल में हमें संजोना है

धरा को बचाकर अपना भविष्य सुरक्षित करना है,

पेड़ -पौधे लगाकर इसको दूषित होने से बचाना है


यह कदम उठा कर इस धरती को स्वर्ग बनाना है,

पृथ्वी हमारा घर है हर खतरे से हमें इसे बचाना है,

प्लास्टिक से बढ़ता प्रदूषण करो इसका बहिष्कार,

मुझको ना दूषित करो, धरती कह रही है बार-बार,


दूषित ना करो जल को ना ही व्यर्थ उसको बहाओं,

ना कचरा फेंको इधर-उधर ना जंगलों को नष्ट करो,

पृथ्वी हमारी है जीवनदाता है ये हमारा सुंदर संसार,

इसके पहाड़ों पर विस्फोट कर ना करो इस पर वार,


कितना कुछ देती पृथ्वी हमें थोड़ा तो करो उपकार,

कष्ट में बहा रही आंसू, सुनों धरा की करूण पुकार,

हम सब को एकजुट होकर यह कदम उठाना होगा,

धरती को हरा-भरा कर फिर से पोषित करना होगा,


स्वयं की रक्षा के लिए पृथ्वी का रक्षण हमें करना है,

सिर्फ बातों से कुछ ना होगा, कर्म करके दिखाना है,

सुखमय होगा जीवन सबका जब पृथ्वी मुस्कुराएगी,

प्रदूषण रहित रखो धरा को कोई विपदा ना आएगी। 


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