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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

पर्यावरण सुरक्षा

पर्यावरण सुरक्षा

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शहर –शहर में जिस तेज गति से बढ़ गई चमक –दमक है

उतनी ही तेज गति से बढ़ रहा यहाँ जहरीले कचरे का ढेर है

धरती माँ की प्राकृतिक सुषमा दिन –प्रतिदिन घटती जा रही है

 ताप शोर और दुर्गन्ध का साम्राज्य दूर तक फैलता जा रहा है

आज हर घर नई –नई बीमारियों से जैसे जकड़ता जा रहा है


वनस्पति और जीव –जंतुओं की हजारों जातियाँ लुप्त हो रही है

धरती हमारी इसकी रक्षा करना प्रथम कर्तव्य हम सभी का है

प्रकृति ने हमें उपहार स्वरूप जो चीज़ें दी उनका तुम मान रखो

आओ मिलकर हम सब प्रण लें पर्यावरण को स्वच्छ बनाना है

धरा से प्रदूषण को हटाकर हमें सभी जीव-जंतुओं को बचाना है


पर्यावरण को प्रदूषण रहित कर इस धरती को स्वर्ग बनाना है

माना कोरोना के कारण आज मौसम कुछ बदला –बदला सा है

प्रकृति हो गई है गुमसुम सी और लग रही बहुत जैसे उदास है 

कल फिर एक नई सुबह होगी यह संकल्प सबके मन में लाना है

प्रदूषण न करेंगें और न होने देंगे अब यह प्रण हम सबको लेना है


जो फैलाया प्रदूषण हमने उससे वातावरण हवा हो गई जहरीली है

समझदार होकर भी सुरक्षा की पकड़ जाने क्यों हो रही ढीली है

प्रकृति ने दिया हमें अनमोल धन इसकी रक्षा करना हमारा धर्म है

मिला जो उपहार हमें इसका सब सम्मान करो यही हमारा कर्म है

सुरक्षा प्रकृति की जिससे सुरक्षा होगी हमारी जानो इसका जो मर्म है


प्रकृति की वो अद्भुत निर्मल छाया जिससे हमारे जीवन की डोर बंधी है

पेड़पौधे पर्वत और बहती नदियाँ इसकी सुन्दरता इसका अभिमान है

खिलवाड़ करना अपनी ही प्रकृति से अपना ही बहुत बड़ा नुकसान है

स्वच्छ रख और वृक्षारोपण कर प्रकृति की सुन्दरता को हमें बचाना है 

अपनी धरोहर को बचाकर अपनी धरा को प्रकृति के रंगों से सजाना हैI


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