ए खुदा तू इतना बता
ए खुदा तू इतना बता
ए खुदा तू बस इतना बता
क्या हुई है इन्सान से खता !
हर मन्जर पे करोना से खौप में चेहरे
कुछ गरीब,अमीर,बुढे, युवा सब अनजाने से मेरे !!
करोना करोना कहलाता ये सावन
रुठ गया है शहर का जीवन !
किसी कि दो रोटी कि थाली
किसी का बटवा है खाली !
कोई भाग रहा अनजाने सडकों में
तो कोई भाग रहा गावो में !
छुटा है रोजगार किसी का
तो छुटा है मां का आंचल किसी का !
ए खुदा तू बस इतना बता
क्या हुई है इन्सान से खता !!
छोड चला मजदूर शहर को
क्या देखा उन्ह्के पैरो के छालों को ?
मिलों मिलों कि दुरी है करते
फिर सुबह उठकर है चलते !
करोना का भय दिखलाता है
या दो रोटी को तरसाता है !
अब तो ए खुदा तू बस इतना बता
क्या हुई है इन्सान से खता !!
हो रही है श्मशानों में
ढीग लाशों कि हजारों में !
अब बतला दे तू , वो सत्ताधारी कहा गये
जो हिंद के लिये करते थे वादे रखवाली के ?
ना है तू मन्दिर, मस्जिद में ना गुरुद्वार में
अब तो बतला दे तू कहा है तू इस धरती पे !!
हो सके तो बस इतना कर दे
इनकों अपनी दुआ में रख दे !
करोना का कहर ये सारा खत्म कर दे
इन्ह बच्चों का सहारा बन रखवाली कर दे !
सृष्टी का चक्र घुमा दे
फिर से हरियाली खिला दे !
खुशहाली भरे वो दिन, सडकों वाली भीड
हो सके तो फिर से लौटा दे !!
ए खुदा तू बस इतना बता
क्या हुई है इन्सान से खता !
हर मन्जर पे करोना से खौप में चेहरे
कुछ गरीब,अमीर,बुढे, युवा सब अनजाने से मेरे !!