मानव धर्म की शाला
मानव धर्म की शाला
जो भी बाबा तेरे दर पर आए
हो जाता है मतवाला
सुबह शाम यहां की होती रौनक
कहते हैं इसे मानव धर्म की शाला
आते हैं लोग तेरे दर पे जो
होते हैं गम के मारे
ठुकराया जिनको दुनिया ने
आते हैं वे बेचारे
खो जाते हैं बाबा तेरी भक्ति में वे,
याद नहीं क्या खो डाला
सुबह शाम यहां की होती रौनक
कहते हैं इसे मानव धर्म की शाला
पैसे देकर ज़हर पीते थे
कोई नहीं था उनका रखवाला
दुर्घटना से भी कोई मरता
पीकर दारू रोज़ शरीर वो जलाता
पाप का भी बाप हैं दारू
बचकर रहना ये धर्म है सिखाता
सुबह शाम यहां की होती रौनक
कहते हैं इसे मानव धर्म की शाला
आते हैं वे लोग तेरे दर पे जो
सुधबुध खो जाते हैं
सेहत दौलत नाम शोहरत
दारु में बहाते हैं
बड़े बड़े शराबी का तूने
निकाल डाला दिवाला
सुबह शाम यहां की होती रौनक
कहते हैं इसे मानव धर्म की शाला
जीव हमारी जाती हैं
मानव धर्म है हम सबका
हिन्दू, मुस्लिम धर्म नहीं कोई हमारा न्यारा
राम कृष्ण रब के नाम पर
दुनिया ने तुझे हैं लूटा
मानव धर्म की शिक्षा देकर तूने पढ़ाया
सुबह शाम यहां की होती रौनक
कहते हैं इसे मानव धर्म की शाला
कोई दिन भर कमाने रोटी दौड़ता
कोई सड़कों पे उठाने रोटी फिरता
कोई पेट भर कोई भूखा ही सोता
ज़िंदगी यूं ही थकती है
बाबा तूने सब सिखाया
मानव धर्म की शक्ति से ज़िंदगी जीना सिखाया
सुबह शाम यहां की होती रौनक
कहते हैं इसे मानव धर्म की शाला