STORYMIRROR

vinod mohabe

Others

4  

vinod mohabe

Others

मौत

मौत

1 min
261

पुष्प पत्र मर्मरण होगी,

   मुरझे फुल खड़खड़ाहट

जीवन जन्म पर ढोल नगाड़े,

   मौत मरण पर होगी सुनी आहट


चार कंधों पर लेटकर जिंदगी

    करती रहेगी आराम 

उसी सन्नाटे में से आयेगी 

     इक आवाज़ राम -नाम, राम -नाम


फनी फनी थी ज़िंदगी

    कर रही थी मौत इन्तजार

ये वक्त बुरा था या फिर

    वक्त की थी यहीं पुकार


जीवन नहीं है कोमल

     फिर भी थी मंद मुस्कान

यही जीवन रथ हैं

     पहुंचे फिर भी ज़िंदगी जन्म -श्मशान


अंत समय देख ज़िंदगी

    यौवन बचपन याद दिलाएगा

छोड़ सब नाते, साथी

    एक अकेला ही चला जाएगा


हाड़ मांस का यह तन

    मिट्टी में ही मिल जाएंगे

कर ले कितनी भी पुकार

    अपना ही ना सुन पाएगा


ज़िंदगी रचे हजारों षड्यंत्र

      विराजे हर जीवन में काल हैं

नाप लिया है जिन्दगी दो गंज जमीन का 

      यहीं मृत्यु का महाजाल है


   


Rate this content
Log in