फिल्म
फिल्म
फ़िल्म बनाने जब शुरुआत हुई
लगा हमें अद्भुत आविष्कार
ब्लैक एंड व्हाइट में चित्रहार
कला और संगीत का संगम
कभी हमारे वास्तविक जीवन दर्शाती
कभी काल्पनिक दुनिया की सैर करती
सपने बुनते, ख़्वाब देखते हम भी
जी लेते है हम फिल्मों में ख्वाबों को भी
रंगीन दुनिया हो गई है अब फिल्में जैसी
पर्दे पर जो दिखता है असल के जैसा नहीं
रूबरू कराये जो हक़ीक़त से ऐसी बात नहीं
बहुत बदला है पर फिल्मों का लगाव वही
चलचित्र के माध्यम से दर्शाते चित्र कई
जो फिल्म समाज का दर्पण बन जाये
अच्छे और बुरे में फर्क कर दिखलाये
दे जो ज्ञान गीता और रामायण का
सुखी सारा संसार हो जाये
फिल्म से हम सुधार सकते विचारों को
अश्लीलता की जगह अगर संस्कार हो
व्यापार बन कर ना रह गया कुछ सुधार हो
फिल्मी जीवन में कुछ सभ्यता का मान हो
युवाओं को गर्त में ना जाने दे
फिल्म उन्हें फिर विवेकानंद बनाने दे
यही उम्मीद बदलाव आएगा
पाश्चात्य हावी ना होगा
संस्कारों का परचम लहराएगा।
